3,926 पशु बीमारी से हो चुके हैं ठीक
धर्मशाला। हिमाचल के जिला कांगड़ा में अभी तक लंपी चमड़ी रोग महामारी के 6,997 मामले रिपोर्ट हो चुके हैं। अब तक जिला में 54 पशुओं की मृत्यु हो चुकी है और 3,926 पशु ठीक हो चुके हैं। महामारी से पशुओं की मृत्यु की शुरुआत तहसील कांगड़ा व जवाली क्षेत्र से हुई। यह बीमारी केवल गौवंश और भैंस प्रजाति को प्रभावित करती है।
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उप निदेशक, पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन डॉ. संजीव धीमान ने बताया कि 04 अगस्त, 2022 को जिला कांगड़ा में पशुओं में लंपी चमडी रोग महामारी के 6 मामले तहसील इंदौरा के क्षेत्र राजा खासा, पलाख व भपूं से रिपोर्ट हुए थे। इसके बाद तहसील इंदौरा के बाकि क्षेत्रों से व गंगथ क्षेत्र से रोजाना मामले बढ़ने लगे।
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इसके साथ जवाली तहसील से भी 04 अगस्त, 2022 से लेकर 08 अगस्त, 2022 तक कुल 24 मामले मिले हैं। इसके उपरांत जिला कांगड़ा में 09 अगस्त, 2022 से महामारी के मामलों में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई और 22 अगस्त 2022 तक जिला में 3,846 मामले मिले हैं। महामारी से ग्रसित पशुओं में बीमारी के लक्षणों में तेज बुखार के साथ त्वचा में सूजन व मोटी मोटी गांठ, आहार खाने में परेशानी, कमजोरी व दूध उत्पादन में कमी देखी जाती है।
कभी-कभी बहुत ही कमजोर या गाभिन पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है। हालांकि इस बीमारी की मृत्यु दर बहुत कम (1 से 2 प्रतिशत) है। समय पर अगर बीमार पशु का उपचार शुरू कर दिया जाता है तो स्वस्थ होने की दर काफी ज्यादा है। सही उपचार मिलने पर पशु 44 से 20 दिन की समय अवधि में स्वस्थ हो जाता है। बीमारी का प्रकोप सबसे अधिक गर्म महीनों व बरसात के दौरान जब कीट सबसे अधिक सक्रिय होते हैं तब देखने को मिलता है। पशुओं में संक्रमण ज्यादा तर मक्खियों-मच्छरों या चिचड,/चिडन जैसे कीटों के काटने से, रोग ग्रस्त पशु के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
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उन्होंने बताया कि इस महामारी की रोकथाम हेतु जिला कांगड़ा के पशुओं को रोग निरोधक टीके लगाए जा रहे हैं। महामारी से प्रभावित क्षेत्र के ग्रस्त इलाकों के 5 किलोमीटर के दायरे में स्वस्थ पशुओं को टीके लगाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। महामारी से ग्रसित पशुओं का उपचार विभाग द्वारा लगातार किया जा रहा है, जिससे उपचारित पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है। पशुओं के उपचार के लिए विभाग द्वारा आवश्यक दवाईयों के आपूर्ति आदेश दे दिए गए हैं।
महामारी से बचाव व रोकथाम हेतु विभाग द्वारा समस्त ग्राम पंचायतों में बैठकों द्वारा व प्रचार सामग्री द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर विभाग की जिला प्रशासन के साथ बैठकों का भी आयोजन किया जा रहा है। साथ ही प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिला में अभी तक 2000 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।