शिमला
हिमाचल के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा है कि लॉकडाउन की वजह से सरकार के राजकीय कोष में एक्ससाइज व अन्य टैक्स ना मिलने से सरकारी खर्च चलाना भी मुश्किल हो सकता है, इसलिए प्रदेश सरकार को केंद्र से इस नुकसान की भरपाई के लिए कोई विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करनी चाहिए। वह लोग जो लॉकडाउन की वजह से अन्य राज्यों में फंसे पड़े है, उन्हें पूरे स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के तहत लाने की कोई सरकारी व्यवस्था की जानी चाहिए। निजी स्कूलों के अध्यापकों और स्टाफ को लॉकडाउन अवधि के वेतन का भुगतान सरकार को ही करना चाहिए, क्योंकि सरकार ने इन संस्थानों से इस दौरान की बच्चों से फीस ना लेने को कहा है। ये बाते उन्होंने कोरोना माहमारी के चलते लॉकडाउन से उत्पन्न लोगों की समस्याओं और उनके निदान बारे सीएम जयराम ठाकुर को एक विस्तृत पत्र में लिखी हैं। वीरभद्र सिंह ने पत्र में लिखा है कि 22 मार्च से प्रदेश में लॉकडाउन की वजह से सभी प्रकार की वाणिज्यिक, व्यवसायिक गतिविधियों के साथ साथ कृषि, बागवानी पर इसका व्यापक बुरा असर पड़ा है। आम आदमी का जीवन भी बहुत प्रभावित हुआ है, प्रदेश की सभी स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं अस्त व्यस्त होकर रह गई है। उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस विधायक चाहते है कि प्रदेश सरकार एक उच्च स्तरीय ऐसी आर्थिक विशेषज्ञ समिति का गठन करें जो प्रदेश लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान का जायजा लेकर अपनी एक्सपर्ट राय देते हुए प्रदेश को इससे उभरने की कोई ठोस रणनीति का प्रस्ताव प्रस्तुत करें, जिससे प्रदेश की बिगड़ती वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकें।
वीरभद्र सिंह ने पत्र में सरकार का कई बिदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रदेश में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने किसानों बागवानों को तुरन्त कोई राहत देने सब्जी उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करने को भी कहा है जिनकी सब्जियां या तो बाजार बंद होने या ट्रांस्पोर्ट व्यवस्था ना होने से खराब हो गई या फिर बेमौसमी वर्षा या ओलावृष्टि से। पत्र में कोरोना माहमारी से रक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट के साथ साथ मास्क, सैनेटाइजर, पीपीई और बेसिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा गया है।